
अगले ही पल एक घटनाक्रम सामने था की एक बालक एक मगरमच्छ के चंगुल में फंसा था और वो माता पार्वती से अपनी जान बचाने की गुहार लगा रहा था. आनन फानन में बात ये तय हुई की यदि माता अभी अभी मिले वरदान का फल दे देवें तो बच्चे की जान बचे. समस्या विकट थी. एक तरफ बच्चे की जान और दूसरी तरफ कई दशकों तक की गयी तपस्या का फल.
अंततोगत्वा माता पार्वती ने बालक की जान बचाई और पुनः तपस्या पर बैठ गयीं. प्रभु पुनः प्रकट हुए, बोले - "वो बालक और मगरमच्छ मैं ही था..." माता जी को फिर से वरदान की प्राप्ति हुई...
समयोपरांत भोलेनाथ और पार्वती का विवाह तय हुआ. आज अम्बानी द्वारा जामनगर में किये आयोजन से कई गुणा बड़ा आयोजन हुआ उस वक़्त. जहाँ पार्वती की ओर से उनके माता-पिता हिमावन और मैनावती ने अपने सारे सगे सम्बन्धियों, राजा, सिपहसलार, विद्वानों और अन्यान्य विशिष्ट लोगों को आमंत्रित किया हुआ था वहीँ शिव की तरफ से सभी जंगली जानवर, गाय, बैल, सांप-बिच्छु, भुत-प्रेत, असुर सह भाष्माहुत नागा बाबा लोग मौजूद थे.
विवाह कार्य में अभी भी मिथिला में वर और वधु पक्ष के बीच पात्र परिचय सह एक दूजे के कुल के विशिष्ट लोगों का परिचय हुआ करता है. यह परिचय माता-पिता से लेकर परिवार के विशिष्ट विद्वानों और बड़े लोगों के परिचय तक जाता है. उद्देश्य ये कि दोनों घरानों को एक दूजे के परिवार का पूरा पता हो, पता चले कि वर या वधु आखिर कैसे परिवार में जा या आ रहे हैं.
इसी तरह का कुछ शिव-पार्वती विवाह में भी हुआ. माता पार्वती के पक्ष वाले अपने पुरे खानदान का ब्यौरा देने लगे. उनके पक्ष का परिचय समाप्त होते ही सबने शिव की ओर देखा. अव्वल तो उनका कोई सगा वहां था नहीं, जो थे भी वो बेचारे बोलने में असमर्थ निरीह प्राणी.
उधर माता पार्वती के माता-पिता को शिव के परिवार का परिचय चाहिए ही था. आखिर पता तो चले कि बेटी कैसे घर में ब्याह रहे. इधर शिव जी चुप्प. न घर है न कोई ठिकाना और न ही कोई चल-अचल संपत्ति.. बेचारे कहें तो क्या कहें. करें तो क्या करें.
नारद मुनि ने स्थिति की नाजुकता को भांपा, बोले - "इनका कोई नहीं !" - इस पर माता पार्वती के पिता ने पूछा - "क्या इन्हें नहीं पता इनके माता-पिता, खानदान का परिचय ?" - इस पर नारद बोले - "ऐसा नहीं है, ये तो स्वयंसिद्धा हैं, स्वयं से स्वयं का निर्माण किया है, आगे जब जो इच्छा होगी करेंगे... "
महौल में सन्नाटा छा गया. लोग महादेव के मौन और अस्पृश्य चेहरे को तकते रहे. उधर माता पार्वती अलग परेशान की अब क्या हो... नारद जी ने कन्या पक्ष से गुफ्तगू की, सारी जिम्मेवारी अपने सर ली और ब्याह का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ.
#HappyMahaShivratri
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