Friday, 8 March 2024

केमिकल प्रोफेशनल्स द्वारा नृत्य चर्चा - कत्थक

रसायन शास्त्र (केमिस्ट्री) मेरे लिए उबाऊ विषय रहा है. बारहवीं में इस विषय से बचता रहा मैं. चूँकि ठीक ठाक छात्र था सो पास होने में दिक्कत कभी न हुई किन्तु रदरफोर्ड, अवोगाद्रो और फैराडे में रूचि कभी न हुयी मेरी. कहते हैं आप जिस चीज से बचो वो पीछे पड़ती ही है, किस्मत ने मेरे कैरियर को केमिकल लोचे में ही ला पटका. जिदगी फैराडे लॉ के इर्द गिर्द यूँ मंडरा रही है जैसे इलेक्ट्रोन अपना विन्यास पूरा करने हेतु एटम के चारो ओर मंडराता है. 

आम लोगों के लिए रसायन शास्त्र सम्बंधित हमारी बातें वाहियात और बेवजह सा टॉपिक है. लम्बी चर्चाएँ, ट्रायल्स और परिणाम में अप्रत्याशितता इसके प्रति लोगों को और उदासीन बना देती है. पिछले कुछेक महीनों से एक बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूँ. केमिकल लोचा भी बड़ा और बजट भी काफी बड़ा है. एक सत्तर वर्षीय बुजुर्ग इस प्रोजेक्ट में मेरी मदद कर रहे हैं. 

यह आलेख इसी बुजुर्ग महोदय (श्रीमान अभय जी) पर केन्द्रित है. इतनी उम्र में उनके चेहरे पर व्याप्त क्यूटनेस बच्चों सा और उर्जा युवाओं वाली है. साथ ही विषय पर तो उनका ज्ञान समंदर सा है ही. मैंने कोई टॉपिक छेड़ा हो और उन्होंने मुझे इनपुट ना दिया हो ऐसा अभी तक हुआ नहीं. महोदय मराठी हैं, गुजरात में बस गए और देश विदेश में कंसल्टिंग का काम करते हैं. प्रधानमंत्री द्वारा दिए उर्जा संरक्षण प्रोजेक्ट पर पीएमओ को रिपोर्ट दे चुके हैं. 

मेरे साथ कार्य के दौरान मेरा जुझारूपन और विषय के तह तक जाने की मेरी इच्छाशक्ति उन्हें भा गयी. नतीजतन हम दोनों थोड़े मित्रवत हो गए. ये बीते कल की बात है, हम दोनों ने एक कंपनी के ED से मीटिंग रखी थी. ED साहब बड़े आदमी थे और हम दोनों समय पर, सो हमारे पास एक अनियोजित समय उपलब्ध था. सो बुजुर्ग अभय साहब हालिया अपने जयपुर और रणथम्भौर यात्रा का जिक्र करने लगे. उन्होंने पास से शेर देखने का जिक्र किया. मैंने परिवार का पूछ दिया. 


महोदय ने बताया की उनकी पत्नी नैना जी कत्थक नृत्यांगना हैं और वो दोनों अपने एक मित्र के वैवाहिक आयोजन पर जयपुर में थे. नृत्यांगना वाली बात थोड़ी अलग सी लगी मुझे तो बात आगे बढ़ी. नैना जी कत्थक पर पुस्तक लिख चुकी हैं और बच्चों को नृत्य सिखाती हैं. नृत्य पर मेरा ज्ञान इतना ही था कि मैंने उन्हें कत्थक को दक्षिण भारतीय नृत्य कह कर मुझपर हँसने का मौका दे दिया. 

हंसी मजाक और चाय के बाद उन्होंने कहा - "कत्थक उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्य के नृत्य हैं. लखनऊ और जयपुर घराना महत्वपूर्ण हैं.... कत्थक से सम्बंधित एक बनारस घराना भी है किन्तु बहुत छोटा और गौण." महोदय जो आजतक मुझसे केमिकल रिएक्शन, मशीनी उर्जा और पम्पिंग की तकनीक मात्र पर चर्चा करते थे आज कत्थक में लखनऊ और जयपुर के बीच का अंतर समझा रहे थे. बोलने लगे - "चूँकि लखनऊ मुस्लिम नवाबों का शहर रहा है, वहां के कत्थक में प्रोफेशनलिज्म और नजाकत अधिक रही जबकि जयपुर चूँकि हिन्दू राजाओं का क्षेत्र रहा वहां प्यूरिटी और रिदम का बोलबाला रहा. इस अंतर की एक वजह और भी है कि मुस्लिम नवाब नृत्य से अधिक भी कुछ चाहते थे सो वो इरान से नर्तकी मंगाने लगे जिसका असर कत्थक पर हुआ." 

नृत्य सम्बन्धी मुआमले पर अपने न्यूनतम ज्ञान को छुपाने को मैंने संगीत का जिक्र करते डॉक्टर प्रवीण झा जी की पुस्तक "वाह - उस्ताद" का जिक्र कर दिया. ये अलग विषय है कि उन्होंने इस पुस्तक की मांग कर दी है और मैंने उन्हें घर पहुँचाने का वादा भी कर लिया... 

उधर ED साहब को और देर हो रही थी और यहाँ कत्थक पर चर्चा आगे बढ़ने लगी थी. महोदय आगे बोले - "कत्थक नृत्य के द्वारा कहानी कहने की कला है. इसमें नृत्य और उसकी भंगिमाओं के द्वारा किसी घटना विशेष का वर्णन होता है. जैसे कृष्ण के कालिया नाग की घटना." 

बातचीत को रोचक होता देखा मैंने पूछा - "कथकली क्या कत्थक का ही कोई रिश्तेदार है ?" - वो फिर हँसने लगे, बोले - "कथकली केरला का नृत्य है जिसे मोहिनी अट्टम भी कहते हैं. भारतनाट्यम तमिलनाडु से है, कुचिपुड़ी आँध्रप्रदेश से और ओडिसी उड़ीसा से." - मैंने अधिक काबिल मैथिल बनते हुए बिहू का पूछकर उन्हें हँसने का एक और मौका दिया. वो बोलने लगे - "देखिये, एक होता है फोक (FOLK) डांस जिसे एक ग्रुप मिलकर करता है जैसे झारखण्ड का बिहू, महाराष्ट्र का लावणी आदि. जबकि फोक का सिस्टेमेटिक अपग्रेड करके बना इंडिविजुअल परफोर्मेंस डांस जिसे क्लासिकल डांस कहते हैं." 

बातचीत आगे बढती इससे पहले ED साहब की एंट्री हो गयी और हम Hazardous Waste, Recovery, ZLD जैसे मुद्दों पर अपने समय और जीवन ख़राब करने लगे... इस वादे के साथ की अगली मुलाकात नैना जी के साथ होगी किन्तु तब जब मेरे हाथ में "वाह-उस्ताद" होगी और साथ में श्रेया ! 

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