पूर्वी चीन स्थित कियाँगशी स्टेट में एक शहर है नानचांग. अब के मैन्यूफ़ैक्चरिंग हब बने इस शहर की ख़ास बात है यहाँ का इतिहास. लगभग सौ साल पहले सांप्रदायिक दंगों के बीच यहीं पर ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ की स्थापना हुई थी. यहाँ की युवा पीढ़ी आमिर ख़ान के पीछे पागल है.
वाया गुआंगजाऊ/ शंघाई/ बीजिंग इस शहर कम से कम बीस बार गया होऊँगा. यहीं एक ग्लोबल समिट में मैक्सिको के साथी से बातचीत हो रही थी. समिट की बोरियत से अलग एड्रियन के देश मेक्सिको में होने वाले हमारे अगले प्रोजेक्ट पर बात चल रही थी उस वक़्त. हमारी टीम में मेक्सिको के अलावा चीन, अमरीका, ईरान, ऑस्ट्रिया, पाकिस्तान और एक अंग्रेज था… मैं भारतीय था ही.
स्वभाव से बातूनी और मसखरे टाइप ऐडी ने अचानक पूछ दिया - 'प्रवीण, टेल मी अबाउट मेक्सिको, व्हाट यू नो अबाउट माय कंट्री' अपने डरपोक स्वभाव की वजह से मैंने चुप रहना बेहतर समझा. लेकिन थोड़ी देर में हीं भाईं ने फिर से कुरेदा - 'प्रवीण ! यू रियली डोंट नो एनीथिंग अबाउट मेक्सिको ?' उसकी इस बात से मेरे अंदर का मैथिल ब्राह्मण बेज्जती महसूस कर गया. मैंने तपाक़ से कहा - 'आइ डोंट नो एनीथिंग अदर देन ड्रग्स एंड क्राइम ऑफ़ मेक्सिको'
भाई ने मेरे दिए भारतीय स्पाइसी नट्स खाते हुए बीयर का बड़ा सिप लगाया और बोल पड़े - 'ऐक्चूअली यू आर राइट.. ' और इसके साथ ही भाई इससे जुड़ी बहादुरी के क़िस्से सुनाने लगे.
हालाँकि मैं उस वक़्त घासफुस का सैंडविच खा रहा था, लेकिन मैंने उसकी बातों पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया. उसे ये न लगे की इग्नोर कर रहा हूँ, मैंने पूछा - 'व्हाट' इज द ट्रेंड नाउ ?' मुझे लगा वो अब सुधार की गाथायें सुनाएगा सो समय व्यतीत करने हेतु मैंने एक कॉफ़ी ऑर्डर कर दिया. थोड़ी देर में किसी ढोंगी दार्शनिक की तरह लम्बी साँस लेता हुआ एडी बोल पड़ा - 'ऐक्चूअली सिचूएशन इज गेटिंग वोर्सेड नाउ... एंड ईंट इज बिकाऊज ऑल द गवर्न्मेंट बॉडीज़ आर इन्वॉल्व्ड इन सच क्राइम्ज'
मिडल क्लास भारतीय होने के नाते मेरे राजनैतिक ज्ञान ने उबाल मारा और ज्ञानी टाइप मुस्कुराते हुए मैं बोल पड़ा - 'दिस केन बी रेज़ॉल्व्ड ईज़िली इन नेक्स्ट इलेक्शन.. चूज अ बेटर गवर्न्मेंट'
अब एडी मेरी बात पर इतनी जोर से हँसा की मुझे पहले तो अपनी बिहारी इंग्लिश पर शक हुआ फिर मेरी शंका अपने राजनैतिक ज्ञान पर गई. मैं इस उधेरबुन में था ही की भाई ने शांत होकर कहा - 'प्रवीण, व्हाट वी केन डू इफ़ ऑल दी पार्टीज़ आर लाइक दैट... दे ऑल वांट टू मेक मनी... डज़ नॉट मैटर हाउ'
भाई के ऐसा कहने पर न जाने क्यूँ बुरा लगा मुझे. अपने देश और देश की कई ताजा घटनाएँ याद आ गई. मैंने खिन्न मन से थके होने का बहाना करते हूए महफ़िल छोड़ने की बात की तो मसखरे एडी ने कहा - 'यू शुड पे योर बिल एटलिस्ट प्रवीण'
'आस्क योर अमेरिकन फ़्रेंड टू पे ऑल द बिल' - बोलता हुआ मैं अपने कमरे में आ गया हूँ... क्या कमरा... स्साले ख़ुद तो दिन में 20 सिगरेट पीते हैं, यहाँ एक माचिस तक नहीं रखते...
नोट - यह सीरीज अच्छी लगे तो शेयर करें... लिखना जारी रहेगा. अमरीका और चीन से जुडी कहानियाँ... चीनी और पाकिस्तानी मित्र की कहानी....वीकेंड पार्टियों की कहानियाँ... मानवीय गुणों की समानता.. आदि आदि
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