Sunday, 28 January 2024

मैथिल साहित्यकार सबहुक नाम एकटा पाती

नमस्कार मैथिल्स !
 
सभ कथित सह स्वघोषित साहित्यकार लेल अछि हमर ई पाती ! सभ ओहि लेखक लेल सेहो जे पुस्तक नै बिकबाक आ मैथिली में कम होईत पाठकक चिंता में दुबरा रहल छथि.
 
एक त समाज में लेखक आ प्रकाशक 'हमस्टरो" से कम अवधि में जनमि रहला हाँ आ ऊपर स लोक कहत - "होमय न दियौ, यौ प्रचारे न भ रहल छैक." - बिडम्बना ई जे येह कहनाहर सब बजैत छथि - "मैथिली विलुप्त भ रहल." - मूढ़ साहित्य चिंतक सब के मात्र अतबे कहब जे स्टालिन कहने छलैथ - "Quantity has quality of its own."
 
संसार में सब किछु परिवर्तित आ उन्नत होइत अछि. लोक के जीवन शैली आ स्वाद सेहो बदलि रहल. गैंचा भेटतो कहाँ छै आब. बरफ स जनसंख्याँ नियंत्रणक सब चीज फ्लेवर में आबि गेल अछि. नारीवाद स आगाँ बढि के अपन समाज ओर्गास्म तक पहुँच गेल अछि. मुदा मैथिली साहित्य अपवाद बनल अहि. ओ मिथिला महान आ विद्यापति सौं आगा बढिए नै रहल.

दिल्ली बम्मई आ अमरीका के मजा नेनिहार साहित्यकारक साहित्य में एखनहु गाम, चुनौटी, बाबा, खेत-खरिहान आ डीहबार के प्रधानता छैक. अनेकानेक सम्बन्धरत आ दू-चारि साल में दाम्पत्य सौं अकच्छ भ रहल समाज के एखनहु साहित्य में सीता दाय आ लछुमन भाय पढ़ाओल जा रहल. शैक्षणिक संस्थान आ संस्कार में वैश्विक हवा केर समावेश भ चुकल मुदा बच्चा के मैथिली किताब में एखनहु बाबा आ हुनक खुट्टा के हाथीये टा भेटैत छनि. बच्चा के Pre-Wedding shoot and trip चाही... बरियाती के भरि पोख "चहटगर चखना" मुदा हमरा अहाँ के साहित्य एखनहु सिंदूर-दाने क रहल.
 
लोक के चाही "जश्न-ए-रेख्ता" सन तात्कालिक सुख आ अहाँ ग्रन्थ-समग्र लेल उताहुल छी. यदा-कदा चोरा-नुका Play-Boy आ Debonoir देखनिहार लोक वेद के सुलभे मियां-खलीफा आ जॉनी सिन एक क्लिक पर भेट रहलनि हाँ आ अहाँ साहित्य में मीना कुमारी, नूतन आ देवानंद पर टिकल छी.
 
हमरा आहां के लोक वेद दुनियां संसारक कंपनी में मजदूरी क रहल मुदा साहित्य के एखनहु खेत में हर-कोदारि चलबैत मजदुर मात्र देखा रहलनि अछि. घर-आंगन में बर्थडे पर केक-आइसक्रीम चाही मुदा अहाँ के साहित्य एखनहु पेन-अलता आ पारले-G गिफ्ट द रहल. गाम में नीक पेट चलेनिहार लोक के शहर बाजार में दस हजारक नौकरी चाही किएक त ओहि ठाम मॉल संग सेल्फी आ संग घुमाबय लेल टेम्पररी दिल्ली वाली भेटैत छनि हुनका मुदा हाय रे अपन साहित्य, ओकरा एखनहु गामक मेला आ ओहि में केस में ललका फीता वाली मात्र देखा रहल.
त साहित्यकार लोकनि अपग्रेड होऊ... समयक संग चलू, किताब के कलेवर बदलू, अपने सन धोती-पैजामा छोईड़ जींस पहिराऊ अपना साहित्यो के.... सोशल मीडिया पर नित लगबैत स्टेटस सन साहित्यक स्टेटस सेहो बदलल जाऊ... तखने बढ़त प्रेम आ संगहि लाइक कमेंट आ साहित्यक बिक्री !

उम्मीद अहि पाती के सकारात्मक पहलु पर ध्यान देब अपने लोकनि.


अपनेक शुभचिंतक
स्वघोषित आचार्य.

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